कुछ अक्षरों को जोड़ कर बना एक शब्द
कुछ शब्दों को जोड़ कर बनी एक बात
कुछ बातों को जोड़ कर बनी एक ज़िन्दगी
कुछ जिंदगियों को जोड़ कर बना एक जहां
ओर इस एक जहाँ में मायने रखता एक शब्द
वोह है प्यार ......
कुछ ध्वनियों को जोड़ कर बना एक सुर
कुछ सुरों को जोड़ कर बना के स्वर
कुछ स्वरों को जोड़ कर बनी एक नज़्म
कुछ नज्मों को जोड़ कर बना एक गीत
सभी गीतों को जोड़ कर बना जीवन एक संगीत
ओर इस संगीत का एक ही सच्चा सुर
जो है प्यार .......
कुछ छानो को जोड़ कर बना एक पल
कुछ पलों को जोड़ कर बना एक दिन
कुछ दिनों को जोड़ कर बना एक मौसम
सभी मौसम को जोड़ कर बना एक साल
कई सालों को जोड़ कर बनी एक सदी
ओर एक पुरे सदी का सबसे सचा पल
जिसमे है प्यार .........
शनिवार, 29 मई 2010
मंगलवार, 23 मार्च 2010
KAHIN NAHI THA
महफ़िल में शोरोगुल भी था..
रौनक भी थी..
मेरी नज़रो के सामने तू था, हा तू ही था
मगर मेरे मन में तेरे होने का एहसास
कहीं नहीं था
मौसम में नमी भी थी, आसमा में बादल भी थे
ज़मीन पर बुँदे भी पड़ी थी हा बारिश भी हुई थी
मगर मेरे जीवन से पतझड़ जाने का एहसास
कहीं नहीं था....
फिज़ाओ में खुशबु भी थी, बागो में कलियाँ भी थी
बहार आने का शुबा भी था हाँ ऐसा लगा भी था
मगर मेरे मधुबन पर इस सुमधुर ऋतू का प्रकाश
कही नहीं था.....
तुम मेरे करीब आये भी थे, मेरे हाथों को थमा भी था
तुम्हारी आँखों में मेरी परछाई भी थी, हां वो में ही थी
मगर तुम्हारी बातो में वो पहले सा प्यार
कहीं नहीं था.....
रौनक भी थी..
मेरी नज़रो के सामने तू था, हा तू ही था
मगर मेरे मन में तेरे होने का एहसास
कहीं नहीं था
मौसम में नमी भी थी, आसमा में बादल भी थे
ज़मीन पर बुँदे भी पड़ी थी हा बारिश भी हुई थी
मगर मेरे जीवन से पतझड़ जाने का एहसास
कहीं नहीं था....
फिज़ाओ में खुशबु भी थी, बागो में कलियाँ भी थी
बहार आने का शुबा भी था हाँ ऐसा लगा भी था
मगर मेरे मधुबन पर इस सुमधुर ऋतू का प्रकाश
कही नहीं था.....
तुम मेरे करीब आये भी थे, मेरे हाथों को थमा भी था
तुम्हारी आँखों में मेरी परछाई भी थी, हां वो में ही थी
मगर तुम्हारी बातो में वो पहले सा प्यार
कहीं नहीं था.....
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